शुक्रवार, ५ ऑगस्ट, २०११

द्वार खडा मै तेरे....

द्वार खडा मै जोगी बनके, प्रभु दर्शन देई रे।
आयो शरण तेरे पगमें, राख लाज हमारी रे।।
कन्हैय्या बनके माखन खाया, करके लीला दिखायों रे।
पगमे घुंगरू बांधके मीरा, सारा संसार नाची रे।।
सारे संतन को रूप दिखाया, प्रभु मनमें समाया रे।
काम क्रोध की बाधा नही, अहंकार नाश किया रे।।
कहे दत्ताजी कृपा करो, मैं लागत हु चरणो रे।
मेरा भगवान सामने खडा, सगुण रूप दिखायो रे।।
                                         
                                         ......डी सिताराम

सच्चा रास्ता..


सच्चा रास्ता...

 मुरत की पुजा सब करे, उसमें नहीं रे जान।
दीन दुःखी की सेवा करे, वहीं धर्म पहचान।।
मेंरा धरम सबसे बडा, छोटा तुम्हारा धरम।
धरम पर क्यों लढाई खेले, कर इंसान शरम।।
जगमें कोई छोटा नही, नही कोई रे महान।
एक ईश के बच्चे सारे, उस आगे सब समान।।
फिर क्यों झगडा लफडा करते, क्यों बहाते खुन।
अरे मानव दुश्मनी छोडो, तुम्हे प्रभुकी आन।।
सारे मानव भाई भाई, नही करे अवमान।
इस धरती पर जनम लिया, न करे व्यर्थ अभिमान।।
ज्ञान विज्ञान सिख ले बंदे, कर कोई मेहनत।
सच्चे रास्ते को छोडो ना प्यारे, है उसमें हित।।
कहे दत्ताजी सुनो मेरे भाई, याद रखो सारी बात।
ईश्वर तुम्हारा भला करे, खुल जाए किस्मत।।

......डी सिताराम


एक बापुडा....


एक बापुडा

एक बापुडा उन्हात भटकत, असाच चालत राहीला
पायात साधे नसे वहाणही, होरपळतचि चालला
असंख्य दुःखे गिळुनी मनाशी, ओठांती पुटपुटतसे
केविलवाण्या नजरेने, भिरिभिरी साऱ्या जगा पहातसे
बहु दिवसांचा उपाशी जीव हा, पोट पाठी भिडलेले
माशा उडती डोक्यावरती, केस असेच वाढलेले
कोणीही नसे तयास वाली, सगे सोयरे कोणी नसे
पुत्र-सुनांनी बाहेर काढुनी, जनात त्याचे केले हसे
कुठे निवारा नसे तयाशी, फुटपाथही भरलेला
कोठे नीजे झाडाखालती, तर कोठे प्रिय दगड शिला
सर्वच जण बघती त्याशी, तिरस्कारीत नजरेने
कोणी दुष्ट शिव्याही देती, दुर सारती नेटाने
माय बापहो खायास द्याहो, असे ओरडी करुणेने
तरणी, ताठी, जवान, पोरे, पाही त्यास गमतीने
पण कोणाही मनास पाझर फुटेना, थोर थट्टा केली
पाहुनी तया नाजुक ठाया, माणुसकीही गहिवरली